नज़र अंदाज़ करते ह़ो.. ???
तो ल़ो हट ज़ाते हैं नज़रों से.....
पर ईन्ही नज़रों से ढुढोंग़े..
जब हम नज़र ना आयेगे...!!
तेरी मोहब्बत से ले कर तेरे अलविदा केहने तक...
मेने सिर्फ तूझे चाहा, तूझ से कूछ नहीं चाहा !कोशिश ज़रा सी करता तो मिल ही जाती मैं ....
उसने मगर अपने दिल में ..... ढूँढा नहीं मुझे...!
आ ही जाता है मेरे लबों पर तेरा नाम
ना जाने क्यों अक्सर,
कभी तेरी तारीफ़ में,
कभी तेरी शिकायत में...!
मत दिया कर कसम मुझे अपने सर की
हाथ तेरे सर पे होता है बोझ मेरे सर पे...!
ला वापस दे दे मेरा दिल
अब क्यूँ तेरे पास रहें
क्या फायदा एसी मोहब्बत का
कि मैं भी उदास रहूँ तू भी उदास रहे..!
ये जो आजकल तुमने खुद को बदला है...
ये वाकई बदला है,,या फिर किसी बात का "बदला" है.!
छोड दिया सबको बिना वजह तंग करना
जब कोई अपना समझता नही तो
किसी को अपनी याद दिला के क्या करना...!
"राज" तो हमारा हर जगह पे है...!!
पसंद करने वालों के "दिल" में,
और नापसंद करने वालों के "दिमाग " में...!
जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन
क्यूंकि एक मुद्दत से मैंने न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले !.
अच्छा किया जो तोड़ दिया तुमने दिल मेरा
इसको भी बहुत गुरुर था तुम्हारी तरह. !
नाम तो लिख दूँ उसका अपनी हर शायरी के साथ;
मगर फिर ख्याल आता है,
मासूम सा है सनम मेरा कहीं बदनाम ना हों जाये !
तुम बदले तो मज़बूरिया थी....
हम बदले तो बेवफा हो गए !!!
"गलत कहते हैं लोग कि संगत का असर होता है,
वो बरसों मेरे साथ रहे फिर भी बेवफा निकले।"
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