मैं वक्त बन जाऊं, तु बन जाना कोई लम्हा
मैं तुझमे गुजर जाऊं,तु मुझमे गुजर जाना ...!
झुठ बोलकर तो मैं भी दरिया पार कर जाती
मगर डूबो दिया मुझे सच बोलने की आदत ने ...!
जिसको मेरी चाहत की कदर ना थी,
इत्तेफाक से उसी को चाह रही हू में आज भी ...!
ना में तुम्हे खोना चाहती हूँ ना तेरी याद में रोना चाहती हूँ
जब तकतुम हो तब तक हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगी
बस यही बात तुमसे कहना चाहती हूँ ...!
आंखे भिगने लगी है अब तेरी बातों से,
काश.. कि हम अजनबी ही रहते तो अच्छा होता ...!
एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है
इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है
उसे पाना नहीं मेरी तकदीर में शायद
फिर भी हर मोड़ पर उसी का इन्तज़ार क्यों है ?
एक तेरे सिवा हम किसी और के
हो सकते है क्या ... ?
तू खुद सोच, तेरे जैसा कोई
और है क्या ?
अब तो हर शाम बस तेरी यादें
दिल के गूगल में सर्च होती हैं
कभी आँखों में सेव होती हैं
कभी अश्कों में खर्च होती हैं ...!
आईने के सामने खड़े होकर खुद से माफ़ी मांग ली मैंने
सबसे ज़्यादा खुद का ही दिल दुखाया है. औरों को खुश करने में ...!
ना जाने क्यूँ रेत की तरह हाथों से निकल जाते हैं लोग,
जिन्हें हम जिंदगी समझ कर कभी खोना नहीँ चाहते ...!
अशक आंखों से जो निकला तो मालूम हुआ...
लौट कर आते नहीं जानेवाले ...!
मुझे भी सिखा दो "भूल" जाने का हुनर"
मैं थक गयी हूँ हर लम्हा हर सांस तुझे याद करते करते ...!
तुम्हें लफ्जों में एहसास चाहिए....!!
और...
मुझे हर लफ्ज में तू मेरे पास चाहिए ...!
अगर वो नाराज होते तो हर कीमत पे मना लेती
लेकिन जो ताल्लुक ही नहीँ
रखना चाहते उन्हेँ कैसे मनाऊँ ...!
आंखो में रहने वालों को याद नही करते
दिल में रहने वाले की बात नही करते
हमारी तो रूह मे बस गये है आप
तभी तो हम मिलने की फरीयाद नही करते ...!
सोचा था वो चार दिन की बात होगी
लेकिन तेरी यादे तो उम्रभर की मेहमान निकली ...!
जिंदगी मे किसी का साथ काफी है,
दूर हो या पास क्या फर्क पडता है
अनमोल रिश्तो का तो बस एहसास काफी है ...!
जहाँ दो इंसानों में कभी झगड़ा या मनमुटाव नहीं होता
...............वहां दो रिश्ते नहीं, दो मशीनें काम करती हैं ...!
तेरे आने की कोइ उम्मीद नहीं मगर
ऐसा कोइ पल नहीं जिसमें, हमको तेरा इंतिज़ार नहीं ...!
नींद में भी गिरते हैं मेरी आँख से आंसू..
जब भी तुम ख्वाबों में मेरा हाथ छोड़ देते हो ...!
इजाजत मांग कर जो दिल में आना चाहे
उसे प्यार नही कहते..!!
प्यार तो उसे कहते हो जो ना चाहते हुए
भी दिल में बस जाये ...!
"उससे रिश्ता नहीं मगर फिर भी ,
कोई रिश्ता है तो बस उस से है...!